Sunday, June 26, 2011

जन्म-मरण का दुःख समाप्त - विश्व में "सत्य" खोज समाप्त

जन्म-मरण का दुःख समाप्त - विश्व में "सत्य" खोज समाप्त
खोजत-खोजत जग मुआँ, खोज सका ना कोय
खोजा जग में चन्द्रबली, जासे जग सुख होय

वत, सदी, इशवी बीत गई "सत्य" खोजते हुए परन्तु संसार के मानव को आज तक "सत्य" मिला नहीं क्योंकि वह शब्दी होकर शब्द से खोज रहा है यहाँ में ऐसी घटना का जिक्र करने जा रहा हूँ जो संसार के लिए एक अद्धभुत घटना होगी और यह घटना घटी चन्द्रबली मानव कथित यादव, ग्राम-खुशियालपुर, तहसील-हंडिया, जिला-इलाहबाद (उत्तर प्रदेश) आप आबकारी विभाग में सिपाही के पद पर कार्यरत हैं जो भगवान शिव की पूजा २९
वर्षों तक किये, शिव के परम भक्त होने के कारण आप को लोग शिवशंकर नाम से भी जानते थे ऐसे में इनका एक बच्चा "मस्कुलर डिसट्राफी" नामक इस बीमारी का शिकार हो गया जिसका इलाज इस दुनियां में नहीं है और इस दुःख का बोझ लेकर यह सोचने लगे की अगर संसार में समस्या है तो उसका समाधान भी है और में उस समाधानकर्ता को खोजुगां, सुना है की गुदड़ी में लाल छिपा होता है, हो सकता है की इस संसार को चलानेवाला भी अपने बनाये संसार में कुछ इसी तरह से हमे मिल जाय कुछ इस तरह से सोंच अपना दुःख लेकर जगह-जगह भटकते रहें ऐसे में एक दिन इनकी मुलाकात उस समाधानकर्ता से हुई जो इस संसार में रामनाथ कथित बिन्द उर्फ़ नेताजी के नाम से माने जाते थे जिनका निवास स्थान - शिवपुरवा, मंडुआडीह, वाराणसी था आप से वार्ता कर
चन्द्रबली मानव को अपने दुःख का कारण दिखाई दिया तथा मन को सुख शान्ति मिली, चन्द्रबली मानव आप को गुरु मान पूजा करने की इच्छा लिए एक दिन पूजा की सामग्री लेकर गुरु पूजन करने चले तो आप (सत्य) ने कहा सुनो भाई शिवशंकर तुम जो जानकर मेरी पूजा करने जा रहें हो वह गुरु-महाराज मै नहीं हूँ ठीक है मै खड़ा हूँ तुम पूजा करो तुम्हे जैसे सुख मिले पूजा करने में, चाहे बैठ कर करो या लेट कर मै खड़ा हूँ, पूजा के पश्चात आप (सत्य) ने कहा जाओ शिवशंकर आज से तुम जहाँ देखना चाहोगे मै तुम्हे सदेव खड़ा दिखाई दूंगा इस बात पर गौर ना कर चन्द्रबली मानव आप (सत्य) को भोजन करा चारपाई पर बिठाकर बगल में टेबल फैन चालू करके थोड़ी दूरी पर जुठां बरतन साफ करने लगे, बरतन साफ करते हुए सहसा पीछे मुड़ देखना चाहा की आप (सत्य) लेटे है या सो गए है परन्तु जो चन्द्रबली मानव को दिखा वह दृश्य देख आप बरतन माँजना भूल गए और इनके मुख से आश्चर्य भाव में निकला "अरे" यह वाक्य सुन आप (सत्य) ने कहा क्या हुआ भाई चन्द्रबली मानव बोले अरे आप पंखे पर भी खड़े है, आप (सत्य) ने कहा नहीं भाई मै यहाँ चारपाई पर बैठा हूँ तभी चन्द्रबली मानव ने सामने लगे ताड़ के पेड़ पर भी खड़े दिखाई दिए तथा बगल के बने मकान पर भी खड़े देख चन्द्रबली मानव यह भूल गए की इनके हाँथ में
बरतन माँजने वाला राख लगा है तथा दौड़ कर राख लगे हांथो से पैर पकड़ कर कहने लगे आप सत्य है, आप सत्य है, आप सत्य है यह कहते हुए जार-जार रोये जा रहें थे तभी गोचर शरीर से "सत्य" बोले ठीक है मै ही "सत्य" हूँ परन्तु तुम कर क्या रहें हो जरा नीचे तो देखो अभी-अभी तुमने नया वस्त्र पहनाया है और उसमे तुम कालिख पोते जा रहें हो पहले तुम रोना बंद करो और यह बताओ की जो सुख तुम्हे इस समय मिल रहा है वह तुम्हारे तक सिमित रहें या संसार को भी मिले, यह सुन चन्द्रबली मानव बोले, "सत्य" हमसे दुखिया नहीं देखा जाता "सत्य" का सुख संसार के दुखिया को मिले यह वाक्य सुन "सत्य" बोले जिसके हाँथ में लाठी और मुंह में गाली वह कहता है हमसे दुखिया नहीं देखा जाता, यह बड़ी अजीब बात है, ठीक है शिवशंकर इसके लिए तुम्हे विश्व की धरती एक "सत्य" का झंडा लगाना होगा जो इस धरती पर कहीं नहीं है

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